चालू खट-खट में अपना काम बना लो।
आप श्रीकृष्ण का चिन्तन करते हैं तो कीजिये, अल्लाह का चिन्तन करते हैं तो कीजिए, झूलेलाल का चिन्तन करते हैं तो कीजिये और यदि सदगुरु प्राप्त हैं, बुद्धि विकसित है, श्रद्धा है, पुण्य है तो चिन्तन कीजिये किः “शिवोऽहम्…. सच्चिदान्दोऽहम्… आनन्दस्वरूपोऽहम्….” वाह वाह ! मैं गुरु होकर उपदेश दे रहा हूँ… शिष्य होकर सुन रहा हूँ…. सब मेरे ही रूप हैं। मैं श्रीकृष्ण होकर आया था, बुद्ध होकर आया था, महावीर होकर आया था। अनेक शरीर आ जायँ और मर जायँ, मिट जायँ, फिर भी मेरा नाश नहीं होता। क्योंकि अनन्त शरीरों में मैं ही हूँ…..“ॐ….ॐ….ॐ…..“ आपके लिये यह मार्ग उत्तम हो सकता है।
आपके चिन्तन का सातत्य कहाँ है यह बात महत्त्व की है। चालू व्यवहार में भी वह अनुसंधान बना रहे तो मंजिल जल्दी तय हो जाती है।
स्वामी रामतीर्थ एक घटना सुनाया करते थे। ब्रिटिश सरकार के जमाने की बात है। एक सरकारी अमलदार घोड़े पर कहीं जा रहा था। रास्ते में घोड़े को प्यास लगी तो पास में कुएँ पर जहाँ अरट चल रहा था वहाँ पानी पिलाने गया। अरट चलने से आने वाली खट…. खट…. खट… खट…. आवाज सुनकर घोड़ा बिदक गया।। उसने पानी नहीं पीया। वह भी साहब का घोड़ा था, अहंकारी का घोड़ा था
आदमी जितना अहंकारी होता है उतना भीतर से डरपोक होता है, जितना विषयी होता है उतना ज्यादा भयभीत होता है।
मेरे पास एक महिला आयी और बोलीः
“बापू ! मेरे पास हीरे-जवाहरात के गहनों के सात सेट हैं। हररोज अलग-अलग सेट पहनती हैं। एक सेट करीब लाख-डेढ़ लाख का होता होगा। और तो सब कुछ है लेकिन जीवन में शांति नहीं है, हृदय में सुख-चैन नहीं है।“
इतने में कुछ आवाज आयी तो वह चौकन्नी हो गई, डर गई। मैंने पूछाः “बहन ! इतना डरती क्यों है?”
“बाबाजी ! मैं क्या बताऊँ? मुझे बहुत डर लगता है। क्या कारण है, पता नहीं। छिपकली को देखकर भी मेरी धड़कन बढ़ जाती है।“
मैंने कई बार निरीक्षण किया है कि व्यक्ति का जीवन जितना विलासी होता है, धन-वैभव-संपत्ति से आक्रान्त होता है उतना वह भीतर से खोखला होता है, भयभीत होता है।
उस अमलदार ने किसान को हुक्म कियाः “इस खट-खट आवाज को बन्द कर।“ किसान ने अरट चलाना बन्द कर दिया। खट-खट तो बन्द हो गई लेकिन साथ में पानी भी आना बन्द हो गया। अमलदार चिढ़कर बोलाः “मैंने अरट की खट-खट आवाज बन्द करने को कहा था, पानी बन्द करने को नहीं कहा था।“
“साहब मेरे ! गुस्ताखी माफ हो। पहले खट-खट होगी, बाद में पानी निकलेगा। यदि आपके घोड़े को प्यास लगी हो तो चालू खट-खट में ही उसे पुचकारकर पानी पिला दो। चालू खट-खट में ही अपना काम बना लो।“
हाँ, आप भी चालू खट-खट में अपना काम बना लो। चाहे साकार में या निराकार में, जिसमें आपकी प्रीति हो उसमें मन लगा दो। इस मिथ्या जगत के आकर्षणों से बचकर संसारसागर से पार हो जाओ।
Advertisements
Posted on March 29, 2015, in Satsang and tagged allah, asaram bapu, asaram bapu ji, asaramji, bhagavan, bramha, Guru, kaam, khat-khat, Krishna, OM, parmatma, ramtirth, sagar, sansar, sant ishvar, swami. Bookmark the permalink. Leave a comment.
Leave a comment
Comments 0